Tuesday, 26 February 2013
Saturday, 23 February 2013
Thursday, 21 February 2013
shivam shukla lakhna etawah
कोई लम्हा न मुझे, अब सुकु देता है
रिश्ता हर एक, मेरा दर्द बढ़ा देता है
हमने तो निभाए दिल से हमेशा रिश्ते
जमाना तो रस्मों से काम चला लेता है
कोई तो हो लगाए, मेरे दिल पे मरहम
अब तो हरेक शक्स जख्म नया देता
shivam shukla
रिश्ता हर एक, मेरा दर्द बढ़ा देता है
हमने तो निभाए दिल से हमेशा रिश्ते
जमाना तो रस्मों से काम चला लेता है
कोई तो हो लगाए, मेरे दिल पे मरहम
अब तो हरेक शक्स जख्म नया देता
shivam shukla
shivam shukla lakhna etawah
झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई,
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
shivam shukla lakhna etawah
झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई,
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
shivam shukla lakhna etawah
झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई,
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
जिन पर किरपा राम करे, वो पत्थर भी तिर जाते हैं ..
घट-घट बस के आप ही अपना, नाम रटा देते हैं ..
हर कारज में निज भक्तों का, हाथ बँटा देते हैं ..
बाधाओं के सा...रे पत्थर, राम हटा देते हैं ..
अपने ऊपर लेकर उनका, भार घटा देते हैं ..
पत्थर क्या प्रभु तीन लोक का, सारा भार उठाते हैं ..
जिन पर किरपा राम करे, वो पत्थर भी तिर जाते हैं .
शिवम् शुक्ला
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
जिन पर किरपा राम करे, वो पत्थर भी तिर जाते हैं ..
घट-घट बस के आप ही अपना, नाम रटा देते हैं ..
हर कारज में निज भक्तों का, हाथ बँटा देते हैं ..
बाधाओं के सा...रे पत्थर, राम हटा देते हैं ..
अपने ऊपर लेकर उनका, भार घटा देते हैं ..
पत्थर क्या प्रभु तीन लोक का, सारा भार उठाते हैं ..
जिन पर किरपा राम करे, वो पत्थर भी तिर जाते हैं .
शिवम् शुक्ला
झुकी हुई नज़रों से इज़हार कर गया कोई,
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
हमें खुद से बे-खबर कर गया कोई,
युँ तो होंठों से कहा कुछ भी नहीं..
आँखों से लफ्ज़ बयां कर गया कोई.. ..
शिवम् शुक्ला
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