Thursday, 21 February 2013

shivam shukla lakhna etawah

कोई लम्हा न मुझे, अब सुकु देता है
रिश्ता हर एक, मेरा दर्द बढ़ा देता है
हमने तो निभाए दिल से हमेशा रिश्ते
जमाना तो रस्मों से काम चला लेता है
कोई तो हो लगाए, मेरे दिल पे मरहम
अब तो हरेक शक्स जख्म नया देता 

 shivam shukla

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